यथार्थवादी लोग प्रायोगिक काम करना पसंद करते हैं। समस्या और उनके समाधान के लिए काम करना उन्हें अच्छा लगता है। प्रैक्टिकल एडवेंचर्स में रुचि रखने के कारण ये लोग ऑफिस के निर्धारित घंटों और कागजी कामों में उलझने की जगह आउटडोर काम करना ज्यादा पसंद करते हैं। उद्यमशील लोग मात्र योजना व सोच-विचार से अधिक कार्य करने को प्राथमिकता देते हैं, प्रोजेक्ट शुरू करना, योजनाओं को मूर्त रूप देना, लोगों का नेतृत्व करना और जोखिम उठाना इन्हें खास पसंद होता है। कुल मिलाकर आप इन्हें साहसिक लोग कह सकते हैं।
क्या आप भी ऊपर लिखी हुई बातों से समानता रखते हैं? यदि हां, तो कई ऐसे करियर विकल्प हैं, जो व्यावहारिक व जोखिम लेने में रुचि रखने वाले प्रैक्टिकल एडवेंचर्स के लिए सटीक बैठते हैं। कुछ परंपरागत करियर हैं, जिनके लिए कड़ी शैक्षिक तैयारी करना जरूरी होता है, वहीं कुछ ऐसे नए विकल्प हैं, जो कक्षा में पढ़ाई गई जानकारी से अधिक आपकी स्किल्स, क्षमता, रुचि व अनुभव पर आधारित होते हैं। कोई विकल्प किसी से अच्छा या बुरा नहीं होता, क्योंकि एक ही करियर किसी के लिए पत्थर, तो दूसरे के लिए मोती समान होता है। बेहतर यह है कि ऐसे कार्य परिवेश और विकल्प को चुनें, जो आपकी पसंद के अनुरूप हो। करियर और आप में जितनी एकरूपता होगी, उतनी ही अधिक आपको संतुष्टि व सफलता मिलेगी।
एडवेंचर टूरिज्म गाइड
विभिन्न शहर के पर्यटन में आ रही तेजी ने आपके बाहर घूमने के शौक को एक करियर का रूप प्रदान कर दिया है। उदाहरण के लिए क्या आप जानते हैं कि माउंट एवरेस्ट के शीर्ष तक पहुंचने का रास्ता कभी आदमी के लिए दुर्गम माना जाता था, जहां आज रोमांच पसंद करने वाले सैकड़ों लोगों की भीड़ देखी जा सकती है जो प्रोफेशनल माउंटेनियरिंग गाइड की मदद से एवरेस्ट की चोटी को छू रहे हैं?
ट्रेकिंग, वाइट-वॉटर राफ्टिंग, जंगल कैंपिंग, वाइल्ड लाइफ सफारी आदि में रुचि रखने वाले विदेशी पर्यटकों से लेकर स्कूली बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं ट्रैवल कंपनियां भी एडवेचर हॉलिडे पर जोर दे रही हैं। कुल मिलाकर एडवेंचर ट्रैवल गाइड की मांग दिनोंदिन बढ़ रही है।
एक एडवेंचर गाइड लोगों के लिए विभिन्न तरह के एडवेंचर ट्रिप्स की योजना बनाकर उनकी व्यवस्था व संचालन करता है। देश भर की जानकारी के आधार पर अच्छे रास्ते व जगहों का निर्धारण करता है। वह परिवहन व उपकरणों की व्यवस्था करते हैं, एडवेंचर भ्रमण में भाग ले रहे लोगों का मार्ग दर्शन करते हैं, कैंपिंग और फूड की व्यवस्था के साथ आपात स्थिति में प्राथमिक उपचार आदि की व्यवस्था करता है। इसके अलावा कुछ एडवेंचर टूरिज्म गाइड उपकरणों और कपड़े बेचने व किराए पर उपलब्ध कराने का काम भी करते हैं।
क्या जरूरी
क्लाइम्बिंग, राफ्टिंग आदि खेल विशेष में दक्षता होनी चाहिए। दूसरे लोगों तक सही व स्पष्ट रूप से सूचनाएं व निर्देश पहुंचाने का कौशल होना चाहिए। समय प्रबंधन जरूरी है ताकि जगह विशेष की भौगोलिक स्थिति व क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए ग्रुप के लोगों के साथ सभी क्रियाओं को समय पर पूरा कर सकें।
प्रशिक्षण
उच्च शिक्षा होना इस क्षेत्र में कदम बढ़ाने के लिए जरूरी नहीं है। यहां तक कि बारहवीं व स्नातक उत्तीर्ण भी यहां करियर बना सकते हैं। एक या अधिक एडवेंचर क्षेत्र में जानकारी रखना इस प्रोफेशन में आने के लिए काफी होगा।
सेना के ऑफिसर
सेना के अफसर सबसे अच्छे प्रैक्टिकल एडवेंचर के जानकार होते हैं। सेना में अधिकारी के तौर पर काम करना सम्मानजनक पेशा माना जता है। भारतीय सेना की गिनती प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान के रूप में होती है। हालांकि सशस्त्र सैन्य बलों की ओर लोगों का आकर्षण बढ़ाने के लिए वित्तीय व आर्थिक पहलुओं की ओर ध्यान देना भी जरूरी है, लेकिन फिर भी सेना में कई ऐसे करियर विकल्प हैं जो एडवेंचर में रुचि रखने वालों को सैन्य बलों की और आकर्षित करता है।
प्रवेश मार्ग : बारहवीं पास युवक सेना में भर्ती पा सकते हैं। सशस्त्र सेना की कई प्रमुख तकनीकी शाखाओं में प्रवेश के लिए स्नातक होना जरूरी है। समय-समय पर इस संबंध में सूचनाएं समाचार पत्रों में जारी की जाती हैं। खास यह है कि सेना को भी अच्छे ऑफिसरों की जरूरत है।
मैटीरियल इंजीनियर
मैटीरियल इंजीनियर का काम मौजूद वस्तुओं के नए उपयोग विकसित करना और बड़े स्तर पर इस्तेमाल किए जने वाले प्रोडक्ट जसे कंप्यूटर चिप्स, टेलीविजन स्क्रीन्स, गोल्फ क्लब आदि के लिए नए मैटीरियल्स पर शोध करना है। धातु या मैटल में विशेषज्ञता रखने वाले मैटीरियल इंजीनियरों को मैटलजिर्कल इंजीनियर कहते हैं। इसके अलावा ये कंपोजिट मैटीरियल अथवा किसी एक तरह के मैटीरियल जैसे ग्रेफाइट, सेरेमिक्स व ग्लास, प्लास्टिक्स और पॉलिमर व प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले मैटीरियल्स आदि में विशेषज्ञता रखते हैं।
शैक्षिक योग्यता और स्कोप
इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी, गणित, टेक्नोलॉजी डिजाइन तकनीक, सिद्धांत, उत्पादन में शामिल टूल्स और इंस्ट्रमेंट्स, तकनीकी योजनाएं, ब्लू प्रिंट्स, ड्रॉइंग और मॉडल्स का उपयोग, सभी इंजीनियरिंग पेशेवरों के समान, मैटीरियल इंजीनियर के लिए इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री होनी जरूरी है। मैटीरियल इंजीनियरों की मांग खासतौर पर निर्माण उद्योगों में देखने को मिलती है।
जेमोलॉजिस्ट अथवा जेम एक्सपर्ट
जेमोलॉजिस्ट या फिर जेम एक्सपर्ट को आप सामान्य भाषा में जौहरी या रत्न पारखी कह सकते हैं। जेम एक्सपर्ट कीमती पत्थरों जैसे जेड, नीलम और रूबी आदि की शुद्धता, गुणवत्ता, मूल्य, पत्थरों की उपयोगिता की जानकारी व बाजार में उनकी कीमत का आकलन करते हैं। एक जेमोलॉजिस्ट विभिन्न उपकरण जैसे पोलराइस्कोप, रिफ्रेक्टोमीटर और माइक्रोस्कोप की मदद से रत्न की सतह और आंतरिक ढांचे की जांच करता है, अलग-अलग रत्नों के बीच अंतर करता है, दुर्लभ किस्म के रत्नों की पहचान तथा उसके मूल्य को प्रभावित करने वाले दोष, कमियों व खासियत के बारे में जानकारी रखता है।
जेमोलॉजिस्ट कीमती पत्थरों की प्रमुख विशेषता, गुण व गुणवत्ता का मानक तय करने में निपुण होते हैं। जेमोलॉजिस्ट का काम पत्थर के रंग, शुद्धता, उसके कटाव की गुणवत्ता के आधार पर जेम को ग्रेड देना और बाजार के उतार-चढ़ाव व बहुमूल्य पत्थरों के वितरण को प्रभावित करने वाले आर्थिक बदलावों को ध्यान में रखकर उनका थोक व फुटकर मूल्य तय करना है।
ज्वैलरी डिजइनर और जेमोलॉजिस्ट में मुख्य अंतर यह है, जहां जेमोलॉजिस्ट कीमती व अर्धकीमती पत्थरों की ग्रेडिंग, पहचान व कटिंग का काम करता है, वहीं एक ज्वैलरी डिजइनर ज्यादा व कम कीमत के पत्थरों व धातुओं का इस्तेमाल करते हुए आकर्षक गहने तैयार करता है। यह पूरी तरह से दो अलग प्रोफेशन और अध्ययन के विषय हैं।
प्रमुख स्किल्स व योग्यता
एक जेमोलॉजिस्ट में कीमती पत्थरों की गुणवत्ता की परख करना, रत्नों की खूबसूरती को बढ़ाने वाले कट्स और पॉलिश का निर्धारण करना और पत्थरों की खूबसूरती व गुणवत्ता को बढ़ाने का कौशल होना जरूरी है। हस्तकौशल, मेहनत व पारखी नजर जेमोलॉजिस्ट के आवश्यक गुण हैं।
शैक्षिक तैयारी और स्कोप
जेमोलॉजी में शॉर्ट टर्म कोर्सेज का संचालन किया जाता है। प्रमुख हैं इंडियन इंस्टीटच्यूट ऑफ जेमोलॉजी, करोल बाग, नई दिल्ली, इंडियन जेमोलॉजिकल इंस्टीटच्यूट, झंडेवालान, नई दिल्ली, जेमोलॉजिकल इंस्टीटच्यूट ऑफ इंडिया, मुबंई, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, ज्वलरी डिजइन व टेक्नोलॉजी इंस्टीटच्यूट, नोएडा आदि। आभूषणों के प्रति कभी नहीं खत्म होने वाला आकर्षण, हीरे व ज्वलरी का बढ़ता एक्सपोर्ट, पूरी तरह हीरों की शुद्धता के आधार पर मूल्य तय करना व डायमंड कटिंग पर निर्भर है।
ऑन लाइन टी-शर्ट रिटेल स्टोर
यदि आपके पास पूंजी बहुत ज्यादा नहीं है तो ऑन लाइन/ऑफ लाइन टी-शर्ट रिटेल स्टोर खोलना अच्छा रहेगा। पूरी दुनिया में ग्राफिक डिजाइनर्स हैं। जो डिजाइन आपको बहुत अच्छा लगे उसे चुनें। चुनाव इस नजरिए से करें कि ग्राहकों को पसंद आए। इस बिजनेस के लिए काफी मेहनत, उत्पादन और बिक्री की जानकारी बहुत जरूरी है। स्रोतों की कमी नहीं होनी चाहिए और डिजाइन के मामले में कल्पनाशीलता होनी चाहिए।
‘इंक फ्रुट’ ने यह बिजनेस सिर्फ 4.6 लाख में शुरू किया था। आज यह देश के 100 आउटलेट्स से टी-शर्ट की बिक्री कर रहा है। उसका यह लाइन/ऑफ लाइन बिजनेस काफी चल रहा है। बिजनेस शुरू करने से पहले कुछ जानकारियां जरूरी हैं। बिजनेस शुरू करने से पहले सर्वे करें। वेबसाइट तैयार करें। जब अच्छी योजना बना लें तब प्रोफेशनल्स की नियुक्ति करें। जैसे चार्टर्ड एकाउंटेंट तथा अन्य अनुभवी कर्मचारी।
प्रोडक्ट तैयार करने पर कितना खर्च आ रहा है और बिकने के बाद कितना पैसा मिल रहा है, हिसाब कर लें। इसमें लाभ की राशि न जोड़े। अनुमान ठीक से लगाएं। बिक्री और वितरण पर आने वाले खर्च का पता करें। मार्केटिंग प्रोडक्ट के विज्ञापन या प्रोमोशन पर कितना खर्च आ रहा है देख लें। तकनीकी उपकरणों जैसे मोबाइल, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, इंटरनेट, रेंट, टेलीफोन, इंश्योरेंस का खर्च का भी हिसाब रखें। वेतन और बोनस का खर्च भी देख लें। इस बिजनेस में कुछ प्रारंभिक वर्षो में फायदा नहीं भी हो सकता है।
गौर करें
कुछ खर्चे सिर्फ एक बार होते हैं, इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं। जैसे परमिट, लाइसेंस, इनवेंटरी शुरुआत तथा अन्य।मासिक खर्चो में टेलीफोन बिल, किराया, वेतन, विज्ञापनों का खर्च आदि हैं। जब तक बिजनेस में पैसे आने शुरू नहीं होते तब तक ये खर्चे उठाने पड़ेंगे। इस तरह के खर्च लगभग 6 महीने से एक वर्ष तक उठाने पड़ते हैं। इन खर्चो के अतिरिक्त 15-20 प्रतिशत अन्य खर्चे भी हो सकते हैं जिनके विषय में सोचा नहीं गया है।‘इंक फ्रुट’ के लिए पूरी दुनिया में 500 से अधिक डिजाइनर कार्य करते हैं। यह बिजनेस आपके लिए भी लाभदायक हो सकता है।
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