पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
दिल्ली. पेट्रोलियम इंजीनियर, नेचुरल पेट्रोलियम सोर्स की खोज करने के अलावा ऐसी तकनीक के जानकार भी होते हैं, जो ऑप्शनल तरीकों से पेट्रोल के उत्पादन में सहायता करती हैं। अगर आप भी इसमें इंट्रेस्ट रखते हैं तो अपने करियर को बुलंदियों तक पहुंचा सकते हैं।
एक ओर जहां पूरी दुनिया में यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग को कैसे पूरा किया जाए, वहीं दूसरी ओर यह भी कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा पेट्रोलियम उत्पादों की तलाश की जाए, जिससे इनके उत्पादन को बढ़ाया जा सके। दुनिया भर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग की जरूरत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में इनकी खोज और उत्पादन के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रयास को अंजाम देने के लिए ऐसे कुशल लोगों की जरूरत पड़ रही है, जो इस क्षेत्र के जानकार हों। पेट्रोलियम उत्पादों की खोज और उत्पादन के लिए पेट्रोलियम इंजीनियरों की जरूरत होती है।
फ्यूचर है ब्राइट
पेट्रो केमिकल इंडस्ट्री के लगातार होते विस्तार ने पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के क्षेत्र को बेहद डिमांडिंग बना दिया है। जिस तेजी से इस क्षेत्र का विकास हो रहा है, उससे पूरी दुनिया में कुशल पेट्रोलियम इंजीनियरों की कमी बनी हुई है। इस कमी को पूरा करने के लिए काफी संख्या में ट्रेंड पेट्रोलियम इंजीनियरों की जरूरत है। भारत की पेट्रोलियम इंडस्ट्री के अलावा यहां के पेट्रोलियम इंजीनियर विदेशों में भी काफी संख्या में काम कर रहे हैं। पूरी दुनिया की पेट्रोलियम इंडस्ट्री अभी भी भारतीय पेट्रोलियम इंजीनियरों की बड़ी खेप के तैयार होने का इंतजार कर रही है। भारतीय पेट्रोलियम इंजीनियरों को दुनिया के तमाम देशों में हाथों हाथ लिया जाता है।
मेन इंस्टीट्यूट्स
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
वेबसाइट: www.ismdhanbad.ac.in
महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे
वेबसाइट: www.mitpune.com
राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली
वेबसाइट: www.rgipt.ac.in
उत्तरांचल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, देहरादून
वेबसाइट: www.uitdehradun.com
नेचर ऑफ वर्क
तेल, गैस और इससे जुड़े अन्य उत्पादों की खोज करने वाले पेट्रोलियम इंजीनियर को जियोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री, इकोनोमिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग का ज्ञान होना जरूरी है। पेट्रोलियम इंडस्ट्री मुख्यत: तेल की खोज, ड्रिलिंग, प्रोडक्शन, रिजर्व मैनेजमेंट, ट्रांसपोर्ट और मशीनरी जैसे अलग-अलग हिस्सों से मिलकर बनी है। पेट्रोलियम इंजीनियर इन अलग-अलग हिस्सों के एक्सपर्ट होते हैं, जो इंजीनियर जिस फील्ड का एक्सपर्ट है, उसे उस क्षेत्र का कार्यभार सौंपा जाता है। दुनियाभर में इस समय साधारण भौगोलिक क्षेत्र वाले स्थानों में पेट्रोल की खोज की जा चुकी है। अब वह स्थान बचे हैं, जहां की भौगोलिक संरचना थोड़ी मुश्किल है। ऐसी जगहों पर पेट्रोल-गैस की खोज करना मुश्किल है। लेकिन पेट्रोलियम इंजीनियर मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने काम को बखूबी अंजाम देते हैं। यही कारण है कि एक कुशल पेट्रोलियम इंजीनियर को लाखों रुपए सैलरी मिलती है। पेट्रोलियम इंडस्ट्री में सामान्य तौरपर ज्यादातर काम मशीनों से ही होता है लेकिन कभी कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी आ जाती हैं कि बड़े से बड़े इंजीनियर को भी हाथों से मशीनों को ऑपरेट करना पड़ जाता है। ज्यादातर दिमागी कार्यक्षमता वाला यह क्षेत्र इस तथ्य पर आधरित होता है कि आप कितने मेहनतकश हैं।
एलिजिबिलिटीज
इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए अंडर ग्रेजुएट कोर्स और कई डिग्री प्रोग्राम कराए जाते हैं। अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास होना चाहिए। पीजी कोर्स के लिए किसी भी इंजीनियरिंग स्ट्रीम से बैचलर डिग्री होना जरूरी है। देश में तमाम इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का कोर्स कराते हैं। इन संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम की समय सीमा चार साल और पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम की समय सीमा दो साल निर्धरित होती है। कोर्स की फीस मुख्यत: संस्थान द्वारा तय मानक के आधार पर निर्धरित की जाती है।
सैलरी
किसी अच्छे संस्थान से पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का कोर्स करने के बाद शुरुआती स्तर पर ही 20,000 से 40,000 रुपए सैलरी आसानी से मिल जाती है। एक्सपीरियंस के बाद सैलरी लाखों में हो जाती है।
दिल्ली. पेट्रोलियम इंजीनियर, नेचुरल पेट्रोलियम सोर्स की खोज करने के अलावा ऐसी तकनीक के जानकार भी होते हैं, जो ऑप्शनल तरीकों से पेट्रोल के उत्पादन में सहायता करती हैं। अगर आप भी इसमें इंट्रेस्ट रखते हैं तो अपने करियर को बुलंदियों तक पहुंचा सकते हैं।
एक ओर जहां पूरी दुनिया में यह चिंता व्यक्त की जा रही है कि पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग को कैसे पूरा किया जाए, वहीं दूसरी ओर यह भी कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा पेट्रोलियम उत्पादों की तलाश की जाए, जिससे इनके उत्पादन को बढ़ाया जा सके। दुनिया भर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग की जरूरत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में इनकी खोज और उत्पादन के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रयास को अंजाम देने के लिए ऐसे कुशल लोगों की जरूरत पड़ रही है, जो इस क्षेत्र के जानकार हों। पेट्रोलियम उत्पादों की खोज और उत्पादन के लिए पेट्रोलियम इंजीनियरों की जरूरत होती है।
फ्यूचर है ब्राइट
पेट्रो केमिकल इंडस्ट्री के लगातार होते विस्तार ने पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के क्षेत्र को बेहद डिमांडिंग बना दिया है। जिस तेजी से इस क्षेत्र का विकास हो रहा है, उससे पूरी दुनिया में कुशल पेट्रोलियम इंजीनियरों की कमी बनी हुई है। इस कमी को पूरा करने के लिए काफी संख्या में ट्रेंड पेट्रोलियम इंजीनियरों की जरूरत है। भारत की पेट्रोलियम इंडस्ट्री के अलावा यहां के पेट्रोलियम इंजीनियर विदेशों में भी काफी संख्या में काम कर रहे हैं। पूरी दुनिया की पेट्रोलियम इंडस्ट्री अभी भी भारतीय पेट्रोलियम इंजीनियरों की बड़ी खेप के तैयार होने का इंतजार कर रही है। भारतीय पेट्रोलियम इंजीनियरों को दुनिया के तमाम देशों में हाथों हाथ लिया जाता है।
मेन इंस्टीट्यूट्स
इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
वेबसाइट: www.ismdhanbad.ac.in
महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पुणे
वेबसाइट: www.mitpune.com
राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, रायबरेली
वेबसाइट: www.rgipt.ac.in
उत्तरांचल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, देहरादून
वेबसाइट: www.uitdehradun.com
नेचर ऑफ वर्क
तेल, गैस और इससे जुड़े अन्य उत्पादों की खोज करने वाले पेट्रोलियम इंजीनियर को जियोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री, इकोनोमिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग का ज्ञान होना जरूरी है। पेट्रोलियम इंडस्ट्री मुख्यत: तेल की खोज, ड्रिलिंग, प्रोडक्शन, रिजर्व मैनेजमेंट, ट्रांसपोर्ट और मशीनरी जैसे अलग-अलग हिस्सों से मिलकर बनी है। पेट्रोलियम इंजीनियर इन अलग-अलग हिस्सों के एक्सपर्ट होते हैं, जो इंजीनियर जिस फील्ड का एक्सपर्ट है, उसे उस क्षेत्र का कार्यभार सौंपा जाता है। दुनियाभर में इस समय साधारण भौगोलिक क्षेत्र वाले स्थानों में पेट्रोल की खोज की जा चुकी है। अब वह स्थान बचे हैं, जहां की भौगोलिक संरचना थोड़ी मुश्किल है। ऐसी जगहों पर पेट्रोल-गैस की खोज करना मुश्किल है। लेकिन पेट्रोलियम इंजीनियर मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने काम को बखूबी अंजाम देते हैं। यही कारण है कि एक कुशल पेट्रोलियम इंजीनियर को लाखों रुपए सैलरी मिलती है। पेट्रोलियम इंडस्ट्री में सामान्य तौरपर ज्यादातर काम मशीनों से ही होता है लेकिन कभी कभी कुछ परिस्थितियां ऐसी आ जाती हैं कि बड़े से बड़े इंजीनियर को भी हाथों से मशीनों को ऑपरेट करना पड़ जाता है। ज्यादातर दिमागी कार्यक्षमता वाला यह क्षेत्र इस तथ्य पर आधरित होता है कि आप कितने मेहनतकश हैं।
एलिजिबिलिटीज
इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए अंडर ग्रेजुएट कोर्स और कई डिग्री प्रोग्राम कराए जाते हैं। अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास होना चाहिए। पीजी कोर्स के लिए किसी भी इंजीनियरिंग स्ट्रीम से बैचलर डिग्री होना जरूरी है। देश में तमाम इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का कोर्स कराते हैं। इन संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम की समय सीमा चार साल और पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम की समय सीमा दो साल निर्धरित होती है। कोर्स की फीस मुख्यत: संस्थान द्वारा तय मानक के आधार पर निर्धरित की जाती है।
सैलरी
किसी अच्छे संस्थान से पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का कोर्स करने के बाद शुरुआती स्तर पर ही 20,000 से 40,000 रुपए सैलरी आसानी से मिल जाती है। एक्सपीरियंस के बाद सैलरी लाखों में हो जाती है।
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